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Best Trick of Science Biology - Human Diseases (मानव रोग )


Best Trick of Science Biology - Human Diseases (मानव रोग )




◆विटामिन ABCDEK की कमी से होने वाले रोग

Trick -{ रवे सारे वर }
1. A – र – रतोंधी
2. B – वे – वेरी वेरी
3. C – सा – स्कर्वी
4. D – रे – रिकेट्स
5. E – व – वाझपन
6. K – र – रक्त का थक्का न बनना।

◆विटामिन ABCDEK के रासायनिक नाम

Trick –{रथ एक टाफी}
विटामिन A – र –रेटिनाल
विटामिन B – थ –थायमीन
विटामिन C – ए –एस्कार्बिक अम्ल
विटामिन D – क –कैल्सीफ़ेरोल
विटामिन E – टा –टोकोफ़ेराल
विटामिन K – फी –फ़िलिक्वोनोन

■प्रोटोजोआ से ■प्रोटोजोआ से होने वाले प्रमुख रोग:-
_______________trick_______________
पापा का-म पे सोते hai 
[प्रोटोजोआ जनित रोगों के शिकार होते है]

________________trick_______________
ट्रिक_____रोग का नाम_____रोग कारक
★पापा __पायरिया___एन्टअमीबा जिजीवेलिस
★का________कालाजार___लिशमैनिया
★म________मलेरिया____प्लाज्मोडियम
★ पे_______पेचिस__एन्टअमीबा हिस्टोलिका
★सोते_____सोने की बीमारी__लिशमैेनियाने वाले प्रमुख रोग

■फफूदी Fungus से होने वाले मानव रोग:-
खु द खा ए गँ दा
[ फफूंदी से रोगी हो गया बन्दा। ]


ट्रिक ___रोग____कारक____प्रभावित अंग
★खु ___खुजली _एकेरस स्केबीज__त्वचा
★द___दमा _ एस्पर्जिलस फ्यूमिगेटस_फेफड़े
★खा ________खाज
★ ए ________एथलीटफुट
★गँ________गँजापन _____
★दा____दाद ___ट्राइकोफाइटाॅन__ त्वचा


■विषाणु (वायरस) से होने वाली बीमारियां
________________trick_________________
“रेखा हमें हिट करके पोएचे (पीछे) छोड़ गई”
________________trick_________________
ट्रिक—रोग का नाम—-कारक—प्रभावित अंग

1.रे —रेबीज—-रेबीज वाइरस—तन्त्रिका तन्त्र
2.खा —खसरा–मोर्बेली वाइरस—सम्पूर्ण शरीर
3.ह ——हर्पिस——
4.में ——मेनिनजाइ टिस
5.हि —हिपैटाइटिस—हिपेटाइटिस वा.–यकृत
6.ट —ट्रैकोमा—विषाणु—–आँखनकी कार्निया
★★करके ——(साइलेंट वर्ड )★★
7.पो —पोलियो–पोलियो वाइरस–तन्त्रिका तन्त्र
8.ए —एड्स—-HIV वाइरस—प्रतिरक्षा तन्त्र
9.चे —चेचक—वैरीओला वाइरस–सम्पूर्ण शरीर
10.छो —छोटी माता–वैरीसेला वाइरस–समूर्ण शरीर
11.ड —डेंगू ज्वर —
12.ग —गलसोध–मम्पस वाइरस—-लार ग्रन्थि

13.ई —इन्फ्लुएंजा—मिक्सोवाइरस—श्वासनली




■जीवाणु/बैक्ट्रिया से होने वाले प्रमुख मानव रोग-
_________short Trick
छ-टी-टा को गोंनो है सी-डी पे नि-का Chadana


०1.छ__छय/T.B______फेफड़ा
०2. टी__टिटनेस______तन्त्रिका तन्त्र
०3. टा_ टायफायड____आन्त्र/आँत
०4. को___कोढ़________त्वचा
०5.गोंनो__गोनोरिया_____मूत्र मार्ग
०6.है___ हैजा__________आँत
०7. सि___ सिफलिस_____शिशन अंग
०8. डी___ डिफथिरिया_____श्वास नली
०9. पे___ प्लेग ______फेफड़ा/कर्व
०10.नि___निमोनिया________फेफड़ा

०11. का__काली खाँसी_वायु मार्ग


■कुछ अानुवांशिक रोग:-
व-ही क्लीप [वही] डॉट”
[ बनी है आनुवंशिक रोगों की धाक ]
_______short Trick 

०1. व—–वर्णांधता
०2. ही—–हीमोफीलिआ
०3. क्ली—क्लीनेफ़ेल्टर
०4. प—–पटाउ सिंड्रोम
★★★वही—(साइलेंट)★★★
०5. डा—–डाउन्स सिंड्रोम
०6. ट——टर्नर सिंड्रोम.
नोट–कोष्ठक[ ] में दिए गए वर्ड सहायक मात्र है।



  • परीक्षा उपयोगी अति महत्वपूर्ण बिंदु 



मानव रोग उत्पन्न होने के कई कारक हैं-
जैसे-
(1) जैविक कारक :-
विषाणु, जीवाणु, माइकोप्लाज्म, कवक, प्रोटोजोआ, हैल्मिन्थीज तथा अन्य जीव।
(2) पौष्टिक तत्व :-
प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण
एवं विटामिनों की कमी।
(3) भौतक कारक :-
सर्दी, गर्मी, आर्द्रता, दबाव, विद्युत,
विकिरण, ध्वनि आदि।
(4) यान्त्रिक कारक :-
निरन्तर अधिक समय घर्षण, चोट लगना, अस्थि टूटना, मोच आना आदि।
(5) रासायनिक कारक :-
यूरिया तथा यूरिक अम्ल, रासायनिक प्रदूषक जैसे पारा, लैड, ओजोन, कैडमियम, निकिल, कोबाल्ट आदि।
(6) पदार्थों की अधिकता :-
अधिक भोजन खाने से, हार्मोनों के अधिक स्रावण से, प्रदूषकों की अधिकता से रोग उत्पन्न होते हैं।
◆हिपेटाइटिस :- यकृत सम्बन्धी रोग है। विश्व में हिपैटाइटिस B वायरस द्वारा फैलता है। इसका संक्रमण अशुद्ध रक्त का चढ़ाया जाना, संक्रमित सुई, असुरक्षित संभोग द्वारा होता है। इसके बचाव के लिए हिपेटाइटिस का टीका लगवाना चाहिये।
■पैतृक रोग (inherited Diseases)
दो प्रकार के होते हैं –
(1) उपापचयी त्रुटियों के कारण :- इसमें तीन मुख्य रोग हैं-
(1) फिनाइल कीटोन्यूरिया
(2) ऐल्केप्टो न्यूरिया
(3) ऐल्बिनिजम
(2) गुणसूत्रों की अनियमितताओं से भी कई रोग जैसे क्लाइनफेल्टर सिन्ड्रोम, टरनर्स सिन्ड्रोम, मंगोलिज्म आदि हो जाते हैं।
■एलर्जी (Allergi) :- इसमें व्यक्ति किसी पदार्थ के प्रति अत्यन्त संवेदनशील हो जाता है। ये पदार्थ जब प्रोटीन होते हैं तो इन्हें एन्अीजेन (प्रतिजन) कहते हैं। शरीर इन प्रतिजनों के खिलाफ कुछ प्रोटीन पदार्थ बनाता है जिसे प्रतिरक्षी (Anti Bodies) कहते हैं। जब कोई पदार्थ जिसके प्रति शरीर संवेदनशील होता है, शरीर में प्रवेश करता है तो ये प्रतिरक्षी उस पर आक्रमण करते हैं। फलस्वरूप हिस्टामीन नामक पदार्थ कुछ कोशिकाओं से निकलता है और यही हिस्टामीन रक्त द्वारा श्लेष्मकला या त्वचा तक पहुँचकर एलर्जिक लक्षण जैसे छीक आना, सांस फूलना, पित्ती, खुजली आना तथा आँखों में पानी आना आदि लक्षण उत्पन्न करता है।
■गठिया (आर्थराइटिस) :- इस रोग से यूरिक अम्ल शरीर के बाहर न निकल पाने के कारण शरीर के जोड़ों (Joints) में एकत्र हो जाता है जिससे वहाँ पर दर्द तथा सूजन उत्पन्न हो जाती है और यह रोग सीधे तौर पर भोजन पर निर्भर करता है।
नोट :-
◆ल्यूकेमिया क्या है – रक्त का कैंसर
◆डिफ्थीरिया रोग शरीर के किस भाग को प्रभावित करता है – गले को
◆प्लेग का वाहक क्या है – पिस्सू (Rat Fly)
◆बहु औषधि उपचार (Multi Drug Therapy) किसके उपचार हेतु दी जाती है – कुष्ठ निवारण हेतु
◆सिफलिस, गोनोरिया तथा एड्स को किस प्रकार का रोग कहा जाता है –
लैंगिक संचरित रोग
◆चीनोपोडियम का तेल किस रोग में प्रयुक्त किया जाता है – ऐस्केरियेसिस
◆फीता कृमि का संक्रमण होता है – सुअर का अधपका मांस खाने से
◆डेगू ज्वर किस मच्छर से फैलता है – एडीज इजिपटी
◆वइरस के उपचार में प्रयोग किया जाता है – इंटरफेराॅन (Interferon)
◆गठिया रोग में जोड़ों में किस अम्ल का जमाव से जाता है – यूरिक अम्ल
◆एफ्लाटाॅक्सिन पदार्थ किस कैंसर को उत्पन्न करते हैं – यकृत कैंसर
◆रोडेन्ट अल्सर है – त्वचा कैंसर जो चेहरे को प्रभावित करता है
◆पसीने में पाये जाने वाले विषाणु नाशक एंजाइम का नाम – लाइसो जाइम
◆प्रजिनों के जवाब में प्रतिरक्षी तन्त्र कौन-सी कोशिकाएँ उत्पन्न करता है – एण्टीबाॅडी
◆पोलियो का विषाणु कौन से ऊतक को नष्ट करता है – मेरुरज्जु के पृष्ठ श्रृंगों को
◆फील पांव का कारक कौन है – वूचेरिया बैंक्रोफ्टाई
◆सभी कोशिकाओं में’आंकोजीन्स’ (Onchogenes) उपस्थित होता है, किसी कारण से ये आंकोजीन्स सक्रिय हो जाती हैं तथा कैन्सर कोशिकाएँ उत्पन्न करने लगती हैं।
◆कैंसर को तीन समूहों – कार्सीनोमा, सार्कोमा, ल्यूकीमिया में बाँटा गया है। कार्सीनोमा एक्टोडर्म उद्गम के ऊतकों में होता है। जैसे स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर आदि। सार्कोंमा कैंसर मीसोडर्म उद्गम के ऊतकों में होता है जैसे अस्थि कैंसर, लसिका गांठें, त्वचा कैंसर आदि।
◆सुक्ष्मजीव जो रोग उत्पन्न करते हैं – पैथोजन
◆रोगों का अध्ययन – पैथोलाजी।
◆जीवाणु की खोज किसने की- ल्यूवेनहॅाक
■एक कोशकीय जीव■
◆प्रोकैरयोटिक कोशिका – अतः स्पष्ट केन्द्रक नहीं।
◆माइटोकोन्ड्रिया अनुपस्थित।
■जीवाणु
★साधारण सर्दी जुकाम जीवाणु से होते हैं★
■जीवाणु जनित रोग■
1. टायफाइड/मोतीझरा/मियादी बुखार/आंत्र बुखार
◆प्रभावित अंग – आंते(पाचन तंत्र)
◆माध्यम – दुषित जल
◆कारक – साल्मोनेला टाईफी
◆टीका – TAB/O.T.V.(Oral Typhoid Vaccine)
◆टेस्ट – विडाल टेस्ट
2.टी.बी./तपेदिक/क्षय रोक/काक रोग
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆मााध्यम – वायु
◆कारक – माइकोबैक्टीरिया टयुबर कुलोसीस
◆टीका – BCG(Bacille Calmette Guerin)/DOTS(Directly Observed Treatment, Short-Course)
◆टेस्ट – मोनटोक्स
3. टिटेनस/धनुर्वात/धनुष्टंकार/लाॅक-जाॅ
◆प्रभावित अंग – तंत्रिका तंत्र
◆माध्यम – मिट्टी, जंग लगी वस्तु, खुले घाव द्वारा
◆कारक – क्लोस्ट्रीडियम टिटेनी
◆टीका – ATS(Anti Tetanus Serim)
4. परट्यूसिस/काली खांसी/कुकर खांसी
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆माध्यम – वायु
कारक – हीमोफिलस परटूसिस
◆टीका – DTP(diphtheria, pertussis (whooping cough), and tetanus)
5. डिप्थीरिया/रोहिणी
◆प्रभावित अंग – गला
◆माध्यम – कच्चा दुध
◆कारक – कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थेरी
◆टीका – DTP
6. कोढ़/कुष्ठ
◆प्रभावित अंग – त्वचा/तंत्रिका कोशिका
◆माध्यम – वायु
◆कारक – माइकोबैक्अिरियम लैप्री
◆टिका – MDT(multidrug therapy)/BCG
7. हैजा/कोलेरा
◆प्रभावित अंग – आंते(श्वसन तंत्र)
◆कारण – निर्जलीकरण
◆उपाय – ORS
8. प्लेग
◆प्रभावित अंग – रूधिर वाहिनियां
◆वाहक – चूहे पर पाए जाने वाले पिस्सू
9. निमोनिया
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆माध्यम – वायु
10. भोजन विषाक्तता
◆प्रभावित अंग – पाचन तंत्र/आंते
◆कारक – निर्जलीकरण/क्लोस्ट्रीडियम बोटूलिनियम
11. दिमागी बुखार/मेनिजाइटिस(मस्तिष्क का आवरण)
◆प्रभावित अंग – तंत्रिका तंत्र
◆कुछ जीवाणु हमारे दैनिक जीवन में लाभदायक भी हैं –
1. Lactobacillus – दुध से दही बनना – खमीरीकरण(किण्वन)
2. E-coli जीवाणु – मनुष्य की बड़ी आंत में vit. B12 का संश्लेषण करता है।(सहजीवी संबंध)
3. राइजोबियम – दलहनी फसलों की जड़ो में नाइट्रोजन स्थिरीकरण(सहजीवी संबंध)
4.एंटीबायोटिक्स/प्रतिजैविक – अधिकांशतया निर्माण जीवाणुओं से होता है।
◆पहली एंटीबायोटिक्स penicillin – कवक – ◆खोज___Alexander Fleming
■विषाणु
◆खोज – इवालोवेस्की ने तंबाकू के पत्ते में मोजैक रोग
◆पहला विषाणु -TMV( tobacco mosaic virus )
★सजीव व निर्जीव के बीच की कड़ी
■विषाणु जनित रोग
1. डेंगु/पीत ज्वर/हड्डी तोड़ बुखार
◆प्रभावित अंग – यकृत
◆वाहक – एडिज मच्छकर
◆टेस्ट – टॅार्नीक्वेट टेस्ट
2. चिकनगुनिया
◆प्रभावित अंग – यकृत
◆वाहक – एडिज मच्छर
3. खसरा
◆प्रभावित अंग – यकृत
◆माध्यम – वायु
4. गलसुआ – लार ग्रंथि – जीवन में एक बार
5. रूबेला
◆टीका -MMR(measles, mumps, and rubella)9-5 Age
6. चेचक
◆प्रभावित अंग – त्वचा(स्थायी निशान)
◆कारक – वेरिओला वायरस
7. छोटी चेचक
◆प्रभावित अंग – त्वचा(अस्थायी निशान)
◆कारक – वेरिसेला वायरस
◆टीका – मृत या निष्क्रीय रोगाणु
◆खोज – एडवर्ड जेनर
8. पीलिया/हेपेटाइटिस
◆प्रभावित अंग – यकृत
◆माध्यम – दूषित जल
9. पोलियो
◆प्रभावित अंग – मेरूरज्जु(तंत्रिका तंत्र)
◆दवाई – साल्क वैक्सीन/OPV(Oral polio vaccine)
◆पोलियो दिवस – 24 अक्टुबर
10. फ्लू/इन्फ्लुएंजा
◆प्रभावित अंग – श्वसन तंत्र
◆माध्यम – वायु
11. स्वाइन फ्लू
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆कारक – H1N1
◆वाहक – सुअर
◆दवा – टमीफ्लू
12. बर्ड फ्लू
◆कारक -H5N1,H9N2
◆वाहक – मुर्गी
13. रेबिज/हाइड्रोफोबिया
◆प्रभावित अंग – मस्तिष्क व मेरूरज्जु(तंत्रिका तंत्र)
◆कारक – रहबड़ो वायरस
◆वाहक – कुत्ता, बिल्ली, बंदर, लोमड़ी आदि की लार
◆एंटीरेबिज का टीका – लुईस पाश्चर
14. सार्स/किलर निमोनिया
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆कारक – कोरोना वायरस
◆उद्भव – 2003 में चीन के ‘युआंग डोंग‘ शहर में
15. एड्स/आतशक(यौन संक्रमित रोग)
AIDS-Acquired Immune Deficiency Syndrome
◆कारक – HIV-Human immunodeficiency virus (रिट्रोवायरस)
◆लक्षण – रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है।
◆दवा – एंटीरिट्रोवायरल (ART),एजिडो थायमिडीन(AZT)
◆टेस्ट -elisa(Enzyme Linked Immuno Sorbent Assay), वेस्टर्न ब्लाट टेस्ट
◆प्रथम रोगी – कैलिफोर्निया (USA – 1981)
◆भारत में प्रथम रोगी – चेन्नई 1986
◆राजस्थान में प्रथम रोगी – पुष्कर(अजमेर)
◆एड्स दिवस – 1 दिसम्बर
◆लोगो – लाल रिबन
■हेल्मिन्थिज जनित रोग
1. बाला या नारू
◆कारक – ड्रेकनकुलस मेडिनेन्सिस नामक कृमि
◆माध्यम – पानी(तालाब, नाड़ी)
◆वाहक – साइक्लोप्स
◆रोकथाम – साइक्लोप्स को नष्ट करने हेतु तालाबों में बारबेल मछलियां छोड़ी जाती है।(जैविक नियंत्रण)
◆राज्य में सन् 2000 के बाद इसका कोई रोगी नहीं पाया गया।
2. हाथिपांव
◆प्रभावित अंग – हाथ पैर, छाती आदि सुज जाते हैं।
◆कारक – वचेरिया बैंक्राप्टाई कृमि
◆वाहक – एडीज मच्छर
◆दवा – डाइईथाइल कार्बेमेजीन
■अनुवांशिक रोग■
◆वे रोग जो माता या पिता से बच्चों तक पहुंचते हैं। या पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं।
1.हीमोफीलिया(राॅयल बिमारी)
◆हीमोफीलिया के जीन …… लिंग गुणसूत्र पर पाए जाते हैं
◆वाहक – माता, स्वंय रोग ग्रसित नहीं होती।
◆प्रभाव – खुन का थक्का देरी से बनता है।
2. वर्णान्धता
◆इसके जिन भी X लिंग गुणसुत्र पर पाए जाते हैं।
◆वाहक – माता, स्वंय रोग ग्रसित नहीं।
◆प्रभाव – लाल व हरे रंग में विभेद नहीं कर सकते।
■अन्य अनुवांशिक रोग
◆थैलेसीमिया, टर्नर सिन्ड्रोम, डाऊन सिड्रोम, पटाऊ सिन्ड्रोम, क्लिने फेल्टर
■अन्य रोग■
★कैन्सर कोशिकाओं कि अनियन्त्रित वृद्धि से बने असामान्य उत्तक पिण्ड(ट्यूमर) कैंसर कहलाते हैं।
◆कारक – प्रोटोआॅन्कोजीन
◆इसका स्थाई उपचार अभी संभव नहीं हो पाया है लेकिन शल्य उपचार चिकित्सा द्वारा ट्यूमर को बाहर निकाला जा सकता है या रेडियोधर्मी कोबाल्ट कि किरणों के प्रयोग से इन्हें नष्ट कर दिया जाता है।
★मधुमेह अग्नाशय इन्सुलिन हार्मोन का स्त्रावण ठीक से नहीं कर पाता जिससे इन्सुलिन की कमी के कारण शर्करा का पाचन नहीं होता और शरीर को ऊर्जा प्राप्त नहीं होती इसके उपचार हेतु इन्सुलिन के इन्जेक्शन लेने चाहिए।
★हृदयघात
हृदय के कपाटों में या रक्तवाहिनियों में रूकावट आने से हृदय ठिक से काम नहीं कर पाता।
★रक्ताल्पता(एनिमिया)
लौह तत्व की कमी के कारण शरीर में रक्त की आॅक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। जिससे रोगी को थकान महसुस होती है।

★★★★ मानव रोग ★★★★




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